दोस्तों पुराने समय में जो भी शेयर का लेनदेन होता था। वे भौतिक रूप से कागज के फॉर्म में शेयर सर्टिफिकेट होता था और उसको संभाल के रखना पड़ता था। उसके गुम हो जाने या चोरी हो जाने का भी खतरा रहता था। इन सब परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए और शेयर मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग की गतिविधिओं को और आसान और डिजिटल बनाने करने के लिए डिमैट अकाउंट फॉर्म में आई है इसे हम डिजिटल इंडिया की एक अच्छी शुरुआत भी कह सकते हैं।
डिमैट अकाउंट Demat Account क्या है ?
दोस्तों जैसा कि हम अपने पैसे को बैंक्स में रखते हैं उसी प्रकार हम अपने शेयर को अपने डिमैट अकाउंट में रखते हैं। जैसे बैंक हमारे पैसों की लेनदेन की निगरानी रखता है या फिर उसको अपने पास रखता है। उसी प्रकार जो हमारे शेयर्स होते हैं उसको डीमेट अकाउंट में Depository के द्वारा निगरानी में रखा जाता है यह डिपॉजिटरी है एनएसडीएल (NSDL) और सीडीएसएल (CDSL) और यह दोनों डिपॉजिटरी सेबी के द्वारा नियंत्रित होती है। दोस्तों एनएसडीएल और सीडीएसएल के बारे में मैंने अपनी पिछले ब्लॉक में डिटेल में बताया है आप वहां से इसके बारे में जाकर पढ़ सकते हैं इस ब्लॉग में बात करते हैं डिमैट की। डिमैट अकाउंट क्या है, डिमैट अकाउंट क्यों जरूरी है, डिमैट अकाउंट कैसे खुलवाएं, डिमैट अकाउंट के फायदे और नुकसान क्या क्या हैं आदि।
दोस्तों जिस प्रकार हम बैंक अकाउंट से अपने पैसों के लेनदेन करते हैं ठीक उसी प्रकार डिमैट अकाउंट से हम शेयर, बॉन्ड, ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड, सरकारी प्रतिभूतियां, म्युचुअल फंड, इंट्राडे के स्टॉक्स आदि की खरीदारी और सेल करते हैं। जो भी हम लेनदेन करते हैं वह डिजिटल फॉर्म में होता है जोकि बिल्कुल सुरक्षित होता है। जब भी हम कोई शेयर खरीदते हैं तब वह 1-2 दिन में हमारे डिमैट अकाउंट में दिखने लगता है। इसी प्रकार जब भी हम कोई शेयर को बेचते करते हैं तो उसका जो भी पैसा होता है वह 2 से 3 दिन में हमारे बैंक अकाउंट में आ जाता है।
भारत Demat Account की शुरुवात सन 1996 से Depository Act के बाद हुई थी।1996 में NSDL की शुरुआत हुई थी जिसका कार्यक्षेत्र NSE है। यह भारत का सबसे पुराना डिपाजिटरी है। इसके बाद 1999 में CDSL की शुरुआत हुई जिसका कार्यक्षेत्र BSE (Bombay है। ये दोनों डिपाजिटरी दोनों एक्सचेंजों में होने वाले ट्रेड और इन्वेस्टमेंट को निवेशकों के demate अकाउंट में अपने पास रखते हैं । ये दोनों डिपाजिटरी स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से निवेशकों या Demat account होल्डर्स से जुड़े होते हैं। ये दोनों डिपाजिटरी को SEBI (Securities and Exchange Board of India) के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
डीमैट अकाउंट कैसे खुलवाएं (How to open Demat Account in Hindi)
दोस्तों 18 वर्ष से ऊपर का कोई भी व्यक्ति जिसके पास PAN है वह Demat Account ओपन करा सकता है।डिमैट अकाउंट खोलने के लिए हम डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DP) से अपना डिमैट अकाउंट ओपन करा सकते हैं जो कि डिपॉजिटरी और सेबी से जुड़े हुए होते हैं और सेबी के नियमों का पालन करते हैं डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट स्टॉक ब्रोकर है जो एक निवेशक और डिपॉजिटरी के बीच कनेक्शन का काम करते हैं। डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट या स्टॉक ब्रोकर ग्राहक या ट्रेडर के लिए डिपॉजिटरी की ओर से कार्य करता है। कई वित्तीय और बैंकिंग संस्थान डिपोज़िटरी सेवाएँ प्रदान करते हैं और इसलिए डिपोज़िटरी भागीदार के रूप में भी जाने जाते हैं । भारत में बहुत से डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स है जिनके नाम निम्नलिखित है :
- Full Service Broker : शेयरखान, आईआईएफएल, मोतीलाल ओसवाल, आनंद राठी आदि ।
- Discount Service Broker : Zerodha, Groww, Angel One, Upstox, 5paisa, Paytm Money, Alice Blue, SAMCO
- बैंक : Axis Direct, ICICI Direct, Kotak Securities, HDFC Securities आदि ।
डीमैट अकाउंट के लिए जरुरी डाक्यूमेंट्स
- पैन कार्ड
- आधार कार्ड
- फोटो
- पूरा पता
- बैंक अकाउंट डिटेल्स
- फोन नंबर और ईमेल
- बैंक सत्यापन या आईटी रिटर्न
डीमैट अकाउंट के फायदे (Advantage of Demat Account in Hindi)
- दोस्तों डिमैट अकाउंट होने से सबसे अच्छा फायदा यह है कि हमारे सारे शेयर्स डिजिटली फॉर्म में सुरक्षित रहते हैं और इसके गुम हो जाने या चोरी हो जाने का कोई भी खतरा नहीं रहता है।
- दोस्तों इसका दूसरा फायदा यह है कि इसमें हमें बहुत ही कम समय में शेयर की लेनदेन कर सकते हैं। जिसमे पहले काफी कागजी कार्रवाई और काफी दिनों काफी दिनों का समय लगता था अब इसमें समय की कमी है और डिजिटली हम लोग आसानी से शेयर के ट्रांसफर कर सकते हैं।
- दोस्तों यहां पर गलतियों की संभावना भी बहुत कम होती है या फिर कहे ना के बराबर होती है।
डीमैट अकाउंट के नुकसान Disadvantage of Demat Account in Hindi)
- दोस्तों नुकसान के बारे में बात करें तो इसमें यह भी हो सकता है कि कोई ब्रोकर भरोसेमंद नहीं है तो वह खाते की का गलत उपयोग भी कर सकता है लेकिन ऐसा होने के बहुत कम चांसेस हैं क्योंकि सभी ब्रोकर सेबी के द्वारा नियंत्रित किए जाते है।
- इसमें दूसरा नुकसान या एक्स्ट्रा खर्चा ये है कि आपको डिमैट अकाउंट खोलने के लिए कुछ चार्ज (पैसे) देने पड़ते हैं।
- तीसरा यह है कि जब भी आप किसी स्टॉकब्रोकर से अपना डिमैट अकाउंट ओपन करते हैं तो आपको उस ब्रोकर से समय-समय पर स्टॉक टिप्स भी मिलते रहता है जो कभी-कभी गलत साबित भी हो सकता है और वह अपने फायदे के लिए भी आपको ऐसे शेयर की सलाह दे सकता है जो बाद में आपको नुकसान दे सकता है। तो जब भी आप निवेश या ट्रेड करें तो अपने जानकारी के हिसाब से ही करें।
निष्कर्ष :
दोस्तों उम्मीद करता हूं कि इस ब्लॉग से आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा। आपको डिमैट अकाउंट से संबंधित जानकारी मिल गई होगी अगर कुछ जानकारी मुझसे छूट गई है, तो प्लीज कमेंट में इसका सुझाव मुझे दें ताकि मैं उसे भी जोड़ सकूं। दोस्तों इस ब्लॉग को बनाने का उद्देश्य यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर मार्केट से जुड़ी हुई बेसिक चीजें और जानकारियों को समझ सके और फाइनेंशली मजबूत हो सके।